प्रदूषण से बचने के लिए कुछ आयुर्वेदिक उपाय, ऐसे रहें स्वस्थ 

Vaidya Shakuntala Devi

वायु प्रदूषण दुनियाभर के लिए एक सिरदर्द बन चुका है। जैसे-जैसे सर्दी बढ़ती है फोग और स्मोक प्रदूषण के स्तर को इतना खराब कर देता है कि जहरीली हवा में सांस लेना मुश्किल हो जाता है। यह हमारे रेस्परटॉरी सिस्टम (श्वसन तंत्र) को सबसे ज्यादा प्रभावित करता है। अगर आपके फेफड़े या फिर इम्युनिटी कमजोर है तो आप को सांस से होने वाली बीमारियों की संभावना बढ़ जाती है। हाल ही में विशेषज्ञ चेतावनी दे चुके हैं कि वायु प्रदूषण का बढ़ता स्तर कोविड के खतरे को और बढ़ा देगा।

अगर आपका श्वसन तंत्र ठीक ढंग से काम नहीं कर रहा तो शरीर में ऑक्सीजन लेवल कम हो जाता है। थकान, सिरदर्द, खांसी और जकड़न जैसे लक्षण उभर कर सामने आने लगते हैं। अस्थमा, टीबी, ब्रोंकाइटिस और एलर्जी जैसी बीमारियां वायु प्रदूषण के कारण ही होती है। इसका प्रभाव बालों और स्किन पर भी देखने को मिलता। ऐसे में बहुत जरूरी हो जाता है कि प्रदुषित माहौल से खुद को दूर रखा जाए और स्वस्थ रहने के लिए आयुर्वेद का सहारा लिया जाए। वैध शकुंतला देवी के अनुसार, आयुर्वेद में कई घरेलू उपाय है जो शरीर को अंदर से मजबूत बनाने का काम करते हैं। साथ ही सांस की तकलीफ को भी इन उपचारों के जरिए कम किया जा सकता है। प्रदूषण से हमारे फेफड़ों और श्वसन तंत्र को होने वाले नुकसान से बचाने के लिए वैध शकुंतला देवी कुछ आयुर्वेदिक उपचार बता रही हैं।

1) श्रृंग भस्म (10 ग्राम), गोदन्ती भस्म (10 ग्राम), मुलेठी चूर्ण(150 ग्राम), तीनो को एक साथ मिलाकर एक मिश्रण तैयार कर लें। इस चूर्ण को अपनी उम्र या वैद्य के अनुसार रोजाना 2 से 10 ग्राम पानी के साथ खाली पेट लें।

वैद्य शकुंतला देवी के अनुसार यह चूर्ण फेफड़ों को मजबूत बनाता है। लगातार प्रदूषित वातावरण में रहने या फिर स्मोक करने की वजह से कमजोर या क्षतिग्रस्त हो चुके फेफड़ों को रिपेयर करने का काम भी करता है।

2) दूसरा उपाय है स्वर्ण बसंत मालती रस। यह रस आपको किसी भी मार्केट में बड़ी ही आसानी से मिल जाएगा। आप इसे उम्र के हिसाब से या वैध/ डॉक्टर के परामर्श से ले सकते हैं। श्वसन तंत्र के लिए काफी प्रभावकारी दवा है।

3) तीसरा बेहद ही कारगार उपाय है काला बांसा की भस्म। काला बांसा एक प्लांट है जो कहीं भी आसानी से मिल जाएगा। अगर आपके आस-पास ये पौधा नहीं मिल पा रहा है तो आप किसी नर्सरी से इसे खरीद सकते हैं। पौधे को सुखाकर, लोहे की कढ़ाई में भून कर भस्म बना लें। अब इस भस्म को अदरक के रस के साथ मिला कर गोलियां बनाएं। 2 से 5 ग्राम रोजाना सुबह व शाम खाली पेट लें। सांस संबंधी बीमारियों से छुटकारा पाने में इसका सेवन बहुत फायदेमंद रहता है। पुराने समय में रोगों से लड़ने के लिए इसे काफी इस्तेमाल किया जाता था।

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