आखिर क्यों करोनावायरस ऑस्ट्रेलिया में कोई तबाही जैसा मंजर नहीं रच पाया?

अनीता

ऑस्ट्रेलिया में लॉकडाउन खत्म करने की प्रक्रिया शुरू हो गई है. इस सप्ताहांत से बार, पब और रेस्तरां खोल दिए गए हैं. हालांकि यह पहला चरण है और एक साथ लोगों के जमा होने की हद 10 रखी गई है. इस हद को तीन चरणों में पूरी तरह खत्म करने की योजना है.

करोनावायरस ऑस्ट्रेलिया में कोई तबाही जैसा मंजर नहीं रच पाया. सात हजार से कुछ ही ज्यादा लोग संक्रमित हुए और मरने वालों की संख्या अब तक सौ के नीचे ही है.

कैसे पाया ऑस्ट्रेलिया ने करोना पर काबू

ऑस्ट्रेलिया में करोनावायरस का पहला मामला जनवरी में मिला था जब चीन से आए एक व्यक्ति को संक्रमित पाया गया. 30 जनवरी को यह व्यक्ति वूहान से ही आया था.

उसी हफ्ते सरकार ने कई कड़े फैसले लिए और पाबंदियां लगानी शुरू कर दीं. हालांकि ये पाबंदियां एकदम नहीं लगाई गईं. जैसे कि शुरुआत सिर्फ चीन की यात्रा पर पाबंदी से हुई थी. और मार्च के मध्य तक ही पूर्ण लॉकडाउन लागू किया गया. इस बीच बहुत से चरणों में कई कदम उठाए गए. मसलन, मार्च के पहले हफ्ते में 500 लोगों के एक जगह जमा होने पर पाबंदी लगी जो अगले हफ्ते 100, और फिर 10 कर दी गई.

साथ ही, विदशों से आने जाने पर भी सख्त पाबंदी लगाई गई. सरकार ने विदेशों में मौजूद अपने लोगों को तीन दिन का वक्त दिया और बताया गया कि उसके बाद सीमाएं बंद हो जाएंगी. उसके बाद भी जो लोग विदेशों में रह गए थे उन्हें विशेष विमानों से आने वाले कई हफ्तों तक लाया गया.

लेकिन ऑस्ट्रेलिया के विभिन्न राज्यों ने अपने स्तर पर काफी कड़े कदम उठाए. जैसे कि देश के सबसे बड़े राज्यों न्यू साउथ वेल्स और विक्टोरिया में ही संक्रमण का प्रकोप सबसे ज्यादा था. और जब इन राज्यों में संक्रमण के मामले बढ़ने शुरू हुए तो बाकी राज्यों ने अपनी सीमाएं एकदम बंद कर दीं और संक्रमण को फैलने से रोका गया.

स्वास्थ्य सेवाओं पर ध्यान

करोनावायरस का संक्रमण शुरू होने के साथ ही ऑस्ट्रेलिया ने स्वास्थ्यसेवाओं को चाक-चौबंद कर दिया था. चीन से सबक लेते हुए वे सारे प्रबंध शुरुआती दौर में ही कर लिए गए थे, जो संक्रमण के चरम पर पहुंचने के लिए जरूरी थे. इसमें अमेरिका से वेंटिलेटर्स आयात करने जैसे दुरूह कदम भी शामिल रहे. नतीजा यह हुआ कि मृतकों की संख्या हमेशा नियंत्रण में रही.

ऑस्ट्रेलिया में 28 मार्च को संक्रमण अपने चरम पर पहुंचा था जिसके बाद धीरे धीरे कर्व फ्लैट होने लगी. और जैसे ही कर्व फ्लैट हुई, पाबंदियां भी ढीली की जाने लगीं. इसका फायदा यह हुआ कि आम जन जीवन बहुत कम समय के लिए प्रभावित हुआ.

स्कूलों पर असर

ऑस्ट्रेलिया में पाबंदियों का असर सबसे ज्यादा स्कूलों पर हुआ है. करीब डेढ़ महीने से स्कूल पूरी तरह बंद हैं. हालांकि आधिकारिक तौर पर स्कूलों को बंद नहीं किया गया और जो छात्र स्कूल आना चाहते थे, उनके लिए स्कूलों को खुला ही रखा गया. लेकिन, सरकार ने माता-पिता से आग्रह किया कि जो लोग अपने बच्चों को घर पर रख सकते हैं, वे घर पर ही रखें.

ज्यादातर माता-पिता ने यह आग्रह माना और स्कूल लगभग खाली रहे. इस दौरान ऑनलाइन लर्निंग होती रही.

(लेखिका आस्ट्रेलिया में रहती हैं)

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