National Nutrition Week 2021: नन्‍हे-मुन्‍हों के संतुलित और संपूर्ण विकास में माइक्रोन्‍यूट्रिएंट्स निभाते हैं प्रमुख भूमिका

छोटे बच्चों में माइक्रोन्‍यूट्रिएंट्स (सूक्ष्म पोषक तत्वों) की कमी होना आम बात है। यह कमी तभी होती है, जब बच्चों को शारीरिक विकास के लिए पर्याप्त मात्रा में पोषक तत्व नहीं मिल पाते। 5 साल से कम उम्र के करीब 150 मिलियन बच्चे कद में छोटे रह जाते हैं और 50 मिलियन बच्चों का वजन अपने कद के हिसाब से काफी कम रह जाता है।

भारत में एबॅट न्यूट्रिशन बिजनेस के लिए पीडियाट्रिक न्‍यूट्रीशन, साइंटिफिक और मेडिकल विभाग के हेड डॉक्टर इरफान शेख ने कहा,  कॉम्प्रिहेंसिव नेशनल न्यूट्रीशन सर्वे रिपोर्ट (2016-18) के अनुसार 0-4 वर्ष के आयुवर्ग के 35 फीसदी बच्चों की लंबाई उनकी उम्र से हिसाब से कम पाई गई। 17 फीसदी बच्चों में पोषण संबंधी गड़बड़ियां मिलीं। और 33 फीसदी बच्चों का वजन उनकी लंबाई के हिसाब से कम था। पर्याप्त पोषण के बिना बच्चों का विकास रुक सकता है या उनकी लंबाई अपनी औसत उम्र के हिसाब से कम हो सकती है। इससे बच्चों के शरीर में बीमारियां पनपती हैं। उनमें समझबूझ और चीजों को पहचानने की समझ अपने हमउम्र बच्चों के मुकाबले कम विकसित होती है, जिसका परिणाम उन्हें अपनी आने वाली जिंदगी में भुगतना पड़ सकता है। जिन बच्चों में पोषक तत्वों की कमी का जोखिम होने की आशंका होती है, अगर उनकी जल्द पहचान कर ली जाए तो पूर्ण रूप से विकास की क्षमता हासिल करने में उनकी मदद की जा सकता हैं।

वयस्क होने पर बच्चों की लंबाई कितनी होती है, यह मुख्य रूप से लंबी हड्डियों की ग्रोथ प्लेट (लंबी हड्डियों के सिरे के पास ऊतक का क्षेत्र) की प्रक्रिया का सारांश) पर ही निर्भर करता है।  जेनेटिक फैक्टर, जैसे माता-पिता की लंबाई बच्चों की लंबाई तय करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, लेकिन माहौल से संबंधित कई कारक, जैसे बचपन में, खासतौर से शैशवावस्था में पोषण की स्थिति भी हड्डियों को विकास को प्रभावित कर सकती है। 

अब यह सभी को पता है कि विटामिन डी और कैल्शियम बच्चों में मजबूत और स्वस्थ हड्डियां बनाने में योगदान देते हैं। शरीर की पाचन क्षमता को स्वस्थ रखने के लिए फाइबर भी बहुत जरूरी है। प्रोटीन कई शारीरिक कार्य प्रणालियों में एक आवश्यक भूमिका निभाता है।

लेकिन आर्जिनाइन और विटामिन के2 जैसे न्‍यूट्रिएंट्स (पोषक तत्व), जिनके बारे में लोगों को कम पता है, वह भी काफी जरूरी हैं। विटामिन के2 वसा में घुलनशील विटामिन है, मजबूत हड्डियों के लिए खनिज तत्व मुहैया कराता है। यह एक ट्रांसपोर्टर को एक्टिवेट करता है, जो कैल्शियम को बांधकर हड्डियों तक पहुंचाता है। आर्जिनाइन अमीनो एसिड है, जो ग्रोथ हार्मोन की रिलीज के माध्यम से ग्रोथ प्लेट को सक्रिय करने में मदद करता है और बच्चों का विकास हर समय समान रूप से होता है।

आर्जिनाइन और विटामिन के2 का सेवन शरीर के स्वस्थ विकास के लिए महत्‍वपूर्ण है। इसलिए बच्चों के भोजन में आर्जिनाइन और विटामिन का प्रचुर मात्रा में होना बहुत जरूरी है। आर्जिनाइन मुख्य रूप से पौधों और जीवों से प्राप्त होने वाले पदार्थों से मिलता है। इसमें बीज, अनाज, फलियां, मीट, सीफूड, अंडे और डेयरी प्रॉडक्ट्स शामिल हैं। विटामिन के2 जीवों से प्राप्त होने वाले और खमीरयुक्त खाद्य पदार्थों , जैसे दही, अदरक और गाजर में पाया जाता है।

ओहियो स्टेट यूनिवर्सिटी में पीडियाट्रिक्स, पीडियाट्रिक्स जीआई और न्यूटीशन विभाग के प्रोफेसर डॉ. रॉबर्ट मुरे कहते हैं, पैरंट्स और बच्चों की देखभाल करने वाले लोगों को बच्चों के भोजन में पर्याप्त पोषक तत्वों से भरपूर खाद्य पदार्थों को शामिल करना सुनिश्चित करना चाहिए। अगर बच्चा इनमें से हरेक खाद्य पदार्थों को खा रहा है तब माता-पिता आश्वस्त हो सकते हैं कि उनके बच्चों को पर्याप्त पोषण मिल रहा है। एक बढ़ते बच्चे के पौष्टिक आहार में आदर्श रूप से पांच खाद्य समूहों को शामिल करना चाहिए। इनमें कैल्शियम के लिए डेयरी प्रॉडक्ट्स, विटामिन के लिए फल, कार्बोहाइट्रेड के लिए अनाज, प्रोटीन के लिए मीट और नट्स और खनिज पदार्थों के लिए सब्जियां शामिल हैं।”

पैरंट्स और बच्चों की देखभाल करने वाले लोगों को अपने बच्चों के विकास का लगातार आकलन करना चाहिए। अगर उन्हें विश्वास है कि उनके बच्चे की ग्रोथ दूसरे बच्चों से कम है या वह शारीरिक विकास में पिछड़ रहा है तो उन्हें हेल्थ केयर प्रोफेशनल से बातचीत करनी चाहिए। अगर बच्चों को विकास के लिए पोषण संबंधी दखल की जरूरत हो तो वह अपने बच्चों को पर्याप्त पौष्टिेक आहार मुहैया कर उनकी उचित विकास में मदद कर सकते हैं। जिन बच्चों को केवल भोजन से पोषण नहीं मिलता, न्यूट्रिशनल सप्लिमेंट्स देकर उनकी मदद की जा सकती है।

बच्चों के संपूर्ण शारीरिक विकास, संज्ञानात्मक विकास और इम्यूनिटी बढ़ाने के  लिए उन्हें संपूर्ण रूप से पौष्टिक आहार मिलना बहुत जरूरी है। इसका समाधान साधारण सा है कि बच्चों के आहार में उन खाद्य पदार्थों को शामिल किया जाए, जिससे उन्हें पर्याप्त पोषण मिले। इससे हम उन्हें लंबे समय तक चुस्त-दुरुस्त रह सकते हैं।

 

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