भारत में पहली बार छह माह की गर्भवती और पैंक्रियाटिक कैंसर ग्रस्‍त मरीज़ की जान बचाने के लिए फोर्टिस अस्‍पताल वसंत कुंज में व्हिपल्‍स सर्जरी

अफगानिस्‍तान से भारत इलाज के लिए आयी छह माह की गर्भवती और पैंक्रियाटिक कैंसर ग्रस्‍त मरीज़ की फोर्टिस अस्‍पताल वसंत कुंज में हाल में सफल सर्जरी की गई। मरीज़ को उनके अपने देश में उपचार नहीं मिल पाया था और ऐसे में डॉ अमित जावेद, डायरेक्‍टर, गैस्‍ट्रोइंटेस्‍टाइनल ओंकोलॉजी, फोर्टिस फ्लाइट लेफ्टिनेंट राजन ढल अस्‍पताल वसंत कुंज तथा उनकी टीम ने इस गर्भवती महिला का सफल उपचार किया। मरीज़ और उनके गर्भस्‍थ शिशु अब ठीक हैं। दुनियाभर में व्हिपल्‍स सर्जरी की मदद से गर्भवती महिलाओं के इलाज के गिने-चुने मामले ही सामने आए हैं और भारत में संभवत: यह पहला मामला है।

मरीज़ (फाहिमा) पांच माह की गर्भवती थीं जब यह पता चला कि वह पैंक्रियाटिक कैंसर से ग्रस्‍त हैं। पहली प्रमुख चुनौती तो रोग का निदान ही थी। यह इसलिए क्‍योंकि गर्भावस्‍था के दौरान पेट में असहजता, मितली आना और उल्‍टी की शिकायत आम होती है और कुछ को तो जॉन्डिस भी हो सकता है। पैंक्रियाटिक कैंसर का पता लगाने के लिए पेट का सीटी स्‍कैन किया जाता है, लेकिन गर्भावस्‍था के दौरान आमतौर पर इससे बचने की कोशिश की जाती है क्‍योंकि यह भ्रूण के लिए नुकसानदायक हो सकता है। निदान होने के बाद शीघ्र सर्जरी करना बेहद महत्‍वपूर्ण था। ऐसे मामले में प्रसव के लिए इंतजार करना उचित नहीं था क्‍योंकि इससे कैंसर फैलने का डर था। एडवांस्‍ड प्रेग्‍नेंसी की वजह से सर्जरी काफी चुनौतीपूर्ण हो गई थी। इसके अलावा, प्रेग्‍नेंसी की वजह से मरीज़ की कीमोथेरेपी भी नहीं की जा सकती थी। शरीर में या पैंक्रियाज़ में पनपने वाले कैंसर को डिस्‍टल पैंक्रियकटॅमी से निकाला जाता है और इसके लिए, पैंक्रियाज़ के मुख पर या निचली बाइल डक्‍ट, एंपुला तथा ड्यूडनम के दूसरे हिस्‍से में स्थित कैंसर को व्हिपल्‍स पैंक्रियाटिकोड्यूडेनेक्‍टमी (pancreaticoduodenectomy) की मदद से हटाया जाता है।

सर्जरी काफी कठिन थी और इससे मां एवं भावी शिशु दोनों के लिए खतरा था। इसके अलावा, मरीज़ का गर्भ पहले ही काफी बढ़ चुका था और अंबलीकस से ऊपर था। उसकी वजह से पैंक्रियाज़ (सर्जिकल फील्‍ड) तक एक्‍सेस बंद था, इन सब चुनौतियों को ध्‍यान में रखकर ही डॉ जावेद तथा उनकी टीम ने व्हिपल्‍स सर्जरी करने का फैसला किया।

डॉ जावेद ने कहा, ”यह काफी बड़ा आपरेशन था जिसके लिए कई पहलुओं पर ध्‍यान देने की जरूरत थी। आईसीयू की उन्‍नत क्षमताएं, पोस्‍ट ऑपरेटिव केयर यूनिट और हाइ लैवल एनेस्‍थीसिया टीमें सभी एक साथ मिलकर काम कर रही थीं। सर्जरी में 4 घंटे लगे। हम इसे गर्भस्‍थ शिशु को हिलाए बगैर कर पाए और पोस्‍टऑपरेटिव नतीजों से पता चला है कि ट्यूमर को पूरी तरह से हटा दिया गया है तथा शिशु स्‍वस्‍थ है। फाहिमा ऑपरेशन के बाद स्‍वास्‍थ्‍यलाभ कर रही हैं और उन्‍हें सात दिनों के बाद अस्‍पताल से छुट्टी दे दी गई। व्हिपल्‍स ऑपरेशन में कैंसर ट्यूमर को पैंक्रियाज़ के मुख के साथ ही निकाला जाता है और इसमें पेट, छोटी आंत, गॉल ब्‍लैडर, बाइल डक्‍ट का कुछ हिस्‍सा तथा लिंफ नोड्स हटाए जाते हैं और अन्‍य अंगों को दोबारा जोड़ा जाता है (ताकि भोजन का पाचन सही प्रकार से चलता रहे)। कैंसर ग्रस्‍त (पैंक्रियाज़ के करीब) प्रभावित भाग तथा गर्भ आपस में काफी नज़दीक थे और इसीलिए यह सर्जरी काफी जटिल प्रक्रिया थी। ”मरीज़ के शरीर से उपचार के दौरान कैंसर को पूरी तरह से निकालने, तथा गर्भस्‍थ शिशु को किसी भी प्रकार का नुकसान न पहुंचाते हुए मां को भी पूरी तरह से सुरक्षित रखा गया।‘’

मरीज़ फाहिमा ने कहा, ”व्हिपल सर्जरी मेरे लिए जीवनदायी साबित हुई है। मैं अपनी प्रेगनेंसी को लेकर काफी संवेदनशील थी क्‍योंकि यह मेरे लिए बहुत महत्‍वपूर्ण थी। डॉ जावेद और उनकी टीम ने उम्‍मीद की किरण दिखायी और उनकी विशेषज्ञता, कौशल तथा भरोसे का ही नतीजा है कि आज मेरा बच्‍चा जीवित है। मैं हमेशा उनकी और आभारी रहूंगी कि उन्‍होंने न सिर्फ मुझे नया जीवनदान दिया बल्कि मेरे बच्‍चे को भी बचाया।‘’

डॉ राजीव नय्यर, फैसिलिटी डायरेक्‍टर, फोर्टिस अस्‍पताल, वसंत कुंज ने कहा, ”हम फोर्टिस अस्‍पताल वसंत कुंज में व्हिपल्‍स ऑपरेशन नियमित रूप से करते हैं। डॉ अमित जावेद और उनकी टीम के पास इस प्रक्रिया को अंजाम देने की पर्याप्‍त विशेषज्ञता है और वे नवीनतम लैपरोस्‍कोपिक तकनीक की मदद से कम से कम रक्‍तस्राव कर शानदार नतीजे दिलाने की विशेषज्ञता रखते हैं। इसके चलते मरीज़ को अस्‍पताल में कम समय के लिए रुकना होता है और स्‍वास्‍थ्‍यलाभ भी जल्‍दी हो जाता है। यह पहला अवसर है जबकि भारत में किसी गर्भवती मरीज़ की सफलतापूर्वक व्हिपल्‍स सर्जरी की गई है और इसके लिए हमें अपने डॉक्‍टरों पर गर्व है। सर्जरी की सफलता वास्‍तव में, हमारे अस्‍पताल में मिलने वाली विशेषज्ञता और बहुपक्षीय देखभाल का सबूत है। मैं डॉक्‍टरों की टीमों को महामारी के बावजूद मरीज़ों की देखभाल के विश्‍वस्‍रीय मानकों का पूरा पालन करने के लिए भी बधाई देता हूं।”

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