सरकार ने कहा है कि रैपिड एंटीबाडी टेस्ट किट को खरीदने में किसी तरह का करप्शन नहीं हुआ है। जब कुछ हलकों से सवाल पूछे जाने लगे तो सोमवार को सरकार सामने आयी। सरकार ने कहा,कोई करप्शन नहीं हुआ है। इसके बाद हर उठ रहे सवालों के सिलसिलेवार जवाब भी दिये। दिन में आईसीएमआर ने भी इसपर उठे सवाल का जवाब सोशल मीडिया पर दिया था। इसकी ओर से कहा गया कि
रैपिड एंटीबॉडी टेस्ट किट की आपूर्ति को लेकर कोई भुगतान नहीं किया है। दरअसल कोरोना मामला सामने आने के बाद जांच किट की भारी मांग उठी। ग्लोबल समस्या होने के कारण मांग को पूरा करने में भी कठिनाई हे रही है। इसके लिए हर देश अपनी पूरी ताकत लगा रहा है।
आईसीएमआर ने कहा कि इसी आपाधानी के बीच पहली बार जब इन किटों को खरीदने का प्रयास किया,
वोंडॉफ के लिए मूल्यांकन समिति को 4 बोलियां मिलीं और प्राप्त की गई जिनके मूल्य 1204 रुपये, 1200 रुपये, 844 रुपये और 600 रुपये था। इसके बाद 600 रुपये की बोली को एल-1 के रूप में विचार किया गया। इस बीच आईसीएमआर ने चीनी सरकार के माध्यम से चीन में वोंडॉफ कंपनी से सीधे किट खरीदने का भी प्रयास किया। हालांकि, प्रत्यक्ष खरीद से प्राप्त कोटेशन में निम्नलिखित मुद्दे थे:
इन कारणों से खरीद प्रक्रिया को नहीं मिली मंजूरी
- यह कोटेशन फ्री ऑन बोर्ड था जिसमें लॉजिस्टिक को लेकर कोई वादा नहीं किया गया था।
- यह कोटेशन बिना किसी गारंटी के 100 फीसदी अग्रिम भुगतान पर आधारित था।
- किट कब तक दिए जाएंगे इसकी समयसीमा पर कोई वादा नहीं किया गया था।
- कीमतों में उतार-चढ़ाव के लिए इन किटों के मूल्य को यूएस डॉलर में बताया गया था।
भारत सरकार ने कहा कि चूंक इस कंपनी को किसी तरह भुगतान ही नहीं हुआ तो फिर करप्शन किस तरह हुआ। मालूम हो कि इस मामले पर सोशल मीडिया पर सरकार से लगातार सवाल पूछे जा रहे थे।
अब तक भारत में 28 हजार से अधिक काेरोना मामला सामने आ चुका है और लगभग 900 मौत हो चुकी है। केंद्र और राज्य सरकार ने पिछले कुछ दिनों के दौरान जांच का दायरा बढ़ाने की पहल की है जिसके बाद अधिक संसाधनों और जांच किट की जरूरत पड़ रही है।