आपदा बलि माँगती है, कोई न कोई तो दे ही देगा

डॉक्टर स्कंद शुक्ला

वे भी कोविड-19 के टीके की उम्मीद लगाये बैठे हैं। हम-सभी देर-सवेर किसी-न-किसी उम्मीद से बँध ही जाते हैं। विपदा नदी की तरह आती है, इंसानों को चींटियों की तरह बहा ले जाती है। लेकिन इसी तेज़ बहाव में कोई-न-कोई तैरता ठौर मिल ही जाता है। हममें से कई लोगों के लिए वह ठौर सार्स-सीओवी 2 के खिलाफ़ वैक्सीन है।

वैक्सीन के प्रति लोगों की अधीरता इससे पता चलती है कि ‘अगर बन जाएगी’ और ‘जब बन जाएगी’ जैसे सन्देहों को वे सोचते समय बीच में लाते ही नहीं। वैक्सीन-विकास का हर समाचार, उससे सम्बन्धित शोध की हर ख़बर इस तरह प्रस्तुत और प्रसारित की जाती है कि वैक्सीन बन गयी है और बस महीने-भर में देश-भर के मेडिकल स्टोरों पर मिलने लगेगी।

जीवन में तीव्रता और जोखिम संग मिलते हैं, इन-दोनों में याराना तगड़ा है। वैक्सीन-विकास का विज्ञान फिर इसका अपवाद क्यों होने लगा? अगर ढेर सारे नियमों के बाबत शॉर्टकट मारकर वैक्सीन विकसित की जाएगी, तो वह अपने ख़तरे, समस्याएँ और चिन्ताएँ साथ लाएगी ही। अनेक नैतिकता के प्रश्न उठेंगे जिनके उत्तर पाने आसान नहीं होंगे। इन्हीं में से एक मामला कोविड-वैक्सीन की सफलता को समझने के विषय में है।

किसी भी संक्रामक बीमारी का टीका जब बनाया जाता है, तब दो बातें मुख्य रूप से ध्यान देने योग्य होती हैं। पहली बात कि टीका लोगों के लिए सुरक्षित हो। दूसरा वह असरदार हो और उससे आवश्यक प्रतिरक्षा का शरीर के भीतर विकास हो। इनमें से पहली शर्त तो फिर भी वैज्ञानिक जान-परख लेंगे, किन्तु दूसरी के लिए क्या किया जाए? जिन लोगों को कोविड-19 का टीका लगाया जाए, उनकी प्रतिरक्षा का पता कैसे चले?

किस तरह मालूम हो कि लगाया गया टीका इन लोगों के शरीरों में कोरोनावायरस के खिलाफ़ प्रतिरक्षा पैदा कर रहा है?

मसला यहाँ आकर फँसता जान पड़ता है। आप मलेरिया, टायफॉयड, कॉलरा, शिजेला, इन्फ़्लुएन्ज़ा जैसे तमाम संक्रमणों को ले लें। इनमें जब टीकों का परीक्षण होता है, तब ज़्यादातर के खिलाफ़ हमारे पास बैकअप प्लान के तौर पर दवाएँ मौजूद हैं।

मान लीजिए किसी को मलेरिया का टीका लगाया गया और फिर उसे ऐसे इलाक़े में छोड़ दिया गया, जहाँ मलेरिया ख़ूब फैला हुआ है। अब इस व्यक्ति को लगाये गये टीके ने काम नहीं किया और इसे मलेरिया हो गया। तब डॉक्टर क्या करेंगे? मलेरियारोधी दवा देकर इस व्यक्ति की जान बचाएँगे।

लेकिन अगर कोविड-19 रोगी को इस बीमारी का टीका लगाया गया और कोविड-रोगियों के बीच छोड़ दिया गया और टीके ने काम न किया, तब? टीके के फ़ेल होने की स्थिति में अगर इस वैक्सीन-वालंटियर की स्थिति बिगड़ती चली गयी और इसकी मृत्यु हो गयी तब?

कई लोग यह कहेंगे कि वॉलंटियर बनने से पहले ऐसे लोगों से फ़ॉर्म भरवाया जाता है। उन्हें वैक्सीन-ट्रायल के ख़तरे बताये जाते हैं। कुछ धन-सहयोग भी दिया जाता है। पर कोई भी जानकारी और कितना भी धन किसी की जान से बड़ा है? ऐसे में कोविड-19 के टीके के परीक्षण के समय नैतिकता प्रश्न बन कर वैज्ञानिकों के सामने खड़ी हो जाती है।

यह बात चल रही है कि टीकों पर शोध के लिए वॉलंटियर युवाओं को चुना जाए। इनमें कोविड-19 से होने वाले लक्षण मामूली हैं और इन्हें गम्भीर संक्रमण की आशंका बहुत कम है। पर युवा को संक्रमण कभी गम्भीर नहीं होगा, यह कैसे तय किया जाए? गम्भीर संक्रमण हो गया तब? मृत्यु हो गयी तब?

और फिर अगर कोविड-19 संक्रमण से सर्वाधिक दुष्प्रभावित प्रौढ़ और वृद्ध हो रहे हैं, तो क्या इन-लोगों में टीके का परीक्षण किये बिना टीके से मिलने वाली सुरक्षा को पर्याप्त माना जा सकता है?

तो क्या प्रौढ़ों और वृद्धों में टीके के प्रयोग का जोख़िम उठाया जाए? यह तो और भी बड़ा जोख़िम होगा!

एक छह महीने पुरानी बीमारी है, जिसके खिलाफ़ हमारे पास कोई दवा है नहीं। हम टीका बनाने चले हैं। उसे बेहद जल्दी भी बनाना चाहते हैं। ऐसे में ढेर सारे वालंटियरों को टीके के परीक्षण के लिए जानबूझकर कोरोनावायरस से संक्रमित करना सही रहेगा? क्या इन वालंटियरों से यह कहा जा सकेगा कि सोशल डिस्टेंसिंग और साफ़-सफ़ाई को धता बता कर कोरोना संक्रमित हो जाओ, ताकि दुनिया देख सके कि तुम बीमार पड़ते हो या नहीं?

कई लोग सोच रहे होंगे कि कोई-न-कोई वालंटियर तो बन ही जाएगा। पूरी पृथ्वी के लोगों का सवाल है, पाँच-दस-पन्द्रह हज़ार जोख़िम उठाने वाले लोग तो मिल ही जाएँगे। हम-सब इसी तरह सोचते हैं कि हमें बचाने के लिए कोई दूसरा अपने-आप को जोखिम में डाल देगा। यह हर आपदा के प्रति रहता आया रवैया है: आपदा बलि माँगती है, कोई-न-कोई तो दे ही देगा।

मानव-चैलेन्ज-ट्रायल के बिना वैक्सीन की कार्यकुशलता सिद्ध होगी नहीं और इस तरह के चैलेंजों के जोखिम कई हैं। साथ में नैतिक प्रश्न भी, जिनके उत्तर पाना सरल नहीं।

(लेखक लखनऊ स्थित डॉक्टर हैं और मेडिकल विषयों पर आम लोगों की बोलचाल में लिखने वाले लोकप्रिय लेखक हैं.)

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

kuwin

iplwin

my 11 circle

betway

jeetbuzz

satta king 786

betvisa

winbuzz

dafabet

rummy nabob 777

rummy deity

yono rummy

shbet

kubet

betvisa

winbuzz

six6s

babu88

marvelbet

krikya

winbuzz

daman game

mostplay login

4rabet login

leonbet login

pin up aviator

mostbet login

rummy wealth

Fastwin App

×